आरंभ पतझड़ के दिन अभी अभी खत्म हुए थे, अब मौसम का सफर बसंत ऋतु की सुगंध सेमहकती हवाओं की रवानगी की और बढ़ रहा था यह कहानी भी कई सौ साल पहले इन्हीं दिनों शुरू हुई थी यह वह समय था जब सेनापति भानसिंह आर्य का लाडला बेटा अपने बचपन के आखिरी पडाव पर था भानसिंह को सर्वाधिक प्रिय था अपना सबसे छोटा बेटा, अंगद अभी बाल-अवस्था समाप्त भी नहीं हुई थी और अंगद के चेहरे पर अल्हड युवक सा तेज आ गया था भान सिंह अपने पुत्रों के साथ अक्सर युद्ध-अभ्यास करते थे अंगद अभी