निमी चोरी छिपे निराली के घर एंटर होती है और उस दवाई को खाने में मिला देती है...लेकिन तभी उसके कंधे पर कोई हाथ रखता है ...........अब आगे.....निमि काफी घबराई सी धीरे धीरे पीछे मुड़ती है , तो सामने निराली हाथ में पानी का जग लिए उसके सामने थी , उन्हें देखकर निमि घबराते हुए कहती हैं...." नि..रा.ली..काकी ..."उसके हकलाते हुए बोली को सुनकर निराली शांत स्वभाव से कहती हैं..." निमी ! तुम इतनी घबराई हुई क्यूं हो..?.. कुछ काम था , तो बेझिझक बोल..."निराली की बातों से साफ पता चल रहा था की उसने कुछ नहीं देखा जिससे निमि