प्यार का अनोखा रिश्ता - भाग २७

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हिना आंख खुल कर कुछ सोच रही थी। अपने नसीब को कोस रही थी।पता नहीं कब वक्त बदलेगा।।कब ये दुनिया मुझे समझ पायेगी।मैं इस काबिल तो नहीं कि कोई अपना समझे, इतना यकीन है कोई अफसोस ज़रूर करेगा मुझे खो देने के बाद।।ये सुबह-सुबह क्या बरबरा रही हो ये आंखें मलते हुए ज़ीनत ने पूछा।हिना ने कहा अरे बाबा कुछ भी नहीं बस मन किया बोल पड़ी।जीनत ने कहा हां ठीक है आज नीचे जाओगी ना?हिना ने कहा नहीं मन नहीं है।जीनत ने कहा आफिस जाना है?हिना ने कहा नहीं रे।जीनत ने कहा फिर चल शापिंग मॉल चले।हिना ने कहा