ADHURA ISHQ

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1. सोचता हूँ, के कमी रह गई शायद कुछ याजितना था वो काफी ना था,नहीं समझ पाया तो समझा दिया होताया जितना समझ पाया वो काफी ना था,शिकायत थी तुम्हारी के तुम जताते नहींप्यार है तो कभी जमाने को बताते क्यों नहीं,अरे मुह्हबत की क्या मैं नुमाईश करतामेरे आँखों में जितना तुम्हें नजर आया,क्या वो काफी नहीं था Iसोचता हूँ के क्या कमी रह गई,क्या जितना था वो काफी नहीं था 2. टूट चूका हूँ बिखरना बांकी है,बचे कुछ एहसास जिनका जाना बांकी है,चंद सांसें है जिनका आना बांकी है,मौत रोज मेरे सिरहाने खड़ी हो पूछती हैभाई आ जा, अ