मनुष्य समाज मे व्याप्त संस्कृति का निर्माण कर इसे सहेज कर रखता है तथा इसे एक पीढ़ी से दूसरे पीढ़ी तक सम्प्रेषित भी करता है। किसी भी समाज की आत्मा वहां की संस्कृति होती है | इसमें उन सभी संस्कारों तथा उपलब्धियों का बोध होता है जिसके सहारे सामूहिक अथवा सामाजिक जीवन व्यवस्था, लक्ष्यों एवं आदर्शों का निर्माण किया जाता है | हम स्वयं को उस संस्कृति के लक्षणों से जान सकते है जो हममें व्याप्त है। संस्कृति मात्र भोजन, सुंदर कलाकृतियाँ डिज़ाइनर वेशभूषा और एथनिक कपड़ों की पहचान नही है, लेकिन उस भोजन को खाने , कपड़ों को पहनने