अश्वत्थामा पाण्डवों और कौरवों के गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र थे। द्रोणाचार्य ने भगवान शिव को अपनी तपस्या से प्रसन्न करके उन्हीं के अंश से अश्वत्थामा नामक पुत्र को प्राप्त किया था। इनकी माता का नाम 'कृपि था, जो शरद्वान की पुत्री थीं। जन्म ग्रहण करते ही इनके कण्ठ से अश्व के समान हिनहिनाने की सी ध्वनि हुई, जिससे इनका नाम अश्वत्थामा पड़ा।महाभारत युद्ध के अंतिम दिनों में अश्वत्थामा कौरव पक्ष के सेनापति थे। एक बार रात में ये पाण्डवों के शिविर में गये और सोते में अपने पिता के हनन करने वाले धृष्टद्युम्न, शिखंडी तथा पाण्डवों के पाँचों लड़कों को