वीरा हमारी बहादुर मुखिया - 16

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रांगा के कहने पर ऊमि उस पुड़िया को लेकर वहां से चली जाती हैं .....इधर इशिता अपने रूम में बैठी कुछ सोच ही रही थी तभी निराली जी उसके रुम का डोर नाॅक होता है लेकिन किसी ख्यालों में खोये होने की वजह से उसपर ध्यान नहीं दिया....जब काफी देर खटखटाने के बाद इशिता दरवाजा नहीं खोलती तो निराली अंदर आकर इशिता को खोए हुए देखकर अपने हाथ में लाई खाने की प्लेट को साइड के टेबल पर रखकर उसके पास आकर बैठती है तभी उसका ध्यान उनपर जाता है.......हैरानी भरी आवाज में इशिता कहती हैं...." चाची आप... बैठिए...आप कब