किन्नर अफ़सर

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मनीष कोटा का निवासी साधारण सा संस्कारी गरीब घर का बेटा, मम्मी पापा तो कैंसर से खतम हो गए पैसे के कमी के कारण इलाज करने के लिए असक्षम थे। रोज दफ़्तर जाता सिर्फ महीने के ₹15,000 मिलते किन्नर संतान थी। घर में उसकी बहुत ही सहयोगी बीवी अंजू और पैदाइशी किन्नर संतान मीतू, यह परिवार गरीब ही सही पर बहुत अच्छी सोच और नैतिक मूल्यों से भरा हुआ था। दोनों माता-पिता अपनी प्रिय हुनहार किन्नर संतान का खूब अच्छा खयाल रखते थे। आज सोमवार था पूर्व संध्या का समय था रोजाना की तरह थका हुआ लाचार मनीष जैसे ही