तड़प इश्क की - 35

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वैदेही अपनी जगह रूक जाती है , जिससे अधिराज उसके पास पहुंचने लगता है , , ,...अब आगे............वैदेही रुककर बिना पलटे कहती हैं....." अधिराज ये सारंगी न बजाया करो , , हम अपने आप को रोक नहीं पाती , हमें और भी कार्य होता है.... लेकिन आपकी ये सारंगी हमें तड़पा देती है...."अधिराज बिना कुछ बोले धीरे धीरे वैदेही के बिल्कुल करीब पहुंच चुका था , , ठीक उसके पीछे जाकर एक हाथ से उसकी पतली कमर को पकड़कर अपने करीब खींच लेता है, , और दूसरे हाथ से उसके बालों को हटाते हुए , अपने होंठों को वैदेही के