भक्त बिल्‍वमंगल

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दक्षिण प्रदेश में कृष्‍णवीणा नदी के तट पर एक ग्राम में रामदास नामक भगवद्भक्‍त ब्राह्मण निवास करते थे। उन्‍हीं के पुत्र का नाम 'बिल्‍वमंगल' था। पिता ने यथासाध्‍य पुत्र को धर्मशास्‍त्रों की शिक्षा दी थी। बिल्‍वमंगल पिता की शिक्षा तथा उनके भक्तिभाव के प्रभाव से बाल्‍यकाल में ही अति शान्‍त, शिष्‍ट और श्रद्धावान हो गये थे।दैवयोग से पिता-माता के देहावसान होने पर जब से घर की सम्‍पत्ति पर बिल्वमंगल अधिकार हुआ, तभी से उनके साथ कुसंगी मित्र जुटने लगे। कुसंगी मित्रों की संगती से बिल्‍वमंगल के अन्‍त:करण में अनेक दोषों ने अपना घर कर लिया। एक दिन गांव में कहीं