कामवासना से प्रेम तक - भाग - 3

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प्रेम भले छोटा शब्द हो परंतु अर्थ गहरा होता है, हर कोई इसे अपनी अलग भाषा मे व्यक्त करता है, अच्छा और बुरा परिणाम चाहे जो भी हो/ कई बार प्रेम प्रताडित भी करता है/प्रेम समझने के लिए वर्षो लग जाते है, मधूर संबध मे कड़वाह का आना लाज़मी है यदि प्रेम मे शारीरिक प्रताड़ना हो, सभ्य समाज मे स्त्री पुरूष की बनावट ही शायद शारीरिक कष्ट का कारण हो, परंतु सत्य क्या है, कहां है, कौन कितना जानता है, प्रेम को परिभाषा है क्या? पुरुष को वासना स्त्री को ह्दय प्रेम है अंतर पर कितना.? पर सोच वही और उतनी है.