एक गाँव की कहानी

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एक गाँव की कहानी "अहा! इतने लम्बे - चौड़े खेत। धन्य हो! हमारे पितरों ने कैसे कब इनका निर्माण किया होगा? जब धरती काटने या जमीन समतल करने की आजकल जैसी कोई मशीनरी उपलब्ध नहीं थीं।" कहते हुए सोहन लाल अपने घर से लगे सीढ़ीदार खेतों को निहारे जा रहे थे। "अरे यार! तब गाँव में लोगों के बीच एकता, सहयोग, समर्पण व इस भूमि के प्रति आत्मिक लगाव था। लोग गाँव में ही मस्त रहकर खेतीबाड़ी, पशुपालन करते। शुद्ध हवा पानी लेते खूब मेहनत करते और सामूहिक रूप से कार्य कर कठिन से कठिन कार्यों को पल में निपटा