किस्से - कहानियां

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1. गांठ रिश्तों की "पापा! ताईजी को शायद कैंसर है!" बेटा धड़धड़ाते हुए कमरे में घुसा."कहां से चले आ रहे हो रिपोर्टर बने हुए? पता भी है क्या बोल रहे हो..?" मैंने महसूस किया कि दिसंबर की ठंड में भी पसीना मेरी कनपटी भिगो रहा था."डाॅक्टर अंकल हैं ना, संतोष अंकल… मिले थे अभी पार्क‌ में! बता रहे थे ताईजी के गले में, यहां पर एक गांठ है छोटी-सी… कोई टेस्ट किया है चार दिन पहले, आज रिपोर्ट आएगी." बेटे की आंखें भर आई थीं! मैं अपराधबोध से भरा हुआ शून्य में ताक रहा था.बच्चों के छोटे-छोटे झगड़े, बड़ों के