जो दिल कहें

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1.अपनी उलझन को बढ़ाने की जरूरत क्या है।छोड़ना है तो बहाने की जरूरत क्या है। लग चुकी आग तो लाज़िम है धुँआ उठेगादर्द को दिल में छुपाने की जरूरत क्या हैउम्र भर रहना है ताबीर से गर दूर तुम्हेंफिर मेरे ख्वाबों में आने की जरूरत क्या हैअजनबी रंग छलकता हो अगर आँखों सेउनसे फिर हाथ मिलाने की जरूरत क्या है।आज बैठे है तेरे पास कई दोस्त नयेअब तुझे दोस्त पुराने की जरूरत क्या है।साथ रहते हो मगर साथ नहीं रहते होऐसे रिस्ते को निभाने की जरूरत क्या है.2.आहिस्ता चल जिंदगी,अभी कई कर्ज चुकाना बाकी है,कुछ दर्द मिटाना बाकी है,कुछ फर्ज