ठंडी सड़क (नैनीताल) - 7

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ठंडी सड़क( नैनीताल)-7बुढ़िया मोड़ पर आते दिखी तो बूढ़ा झट से उठा और उसका चेहरा खिल गया। बोला वे भी क्या दिन थे। समय ने ऐसे किनारों पर हमें ला दिया जो चाहकर भी मिल नहीं पाये। हम इसी कालेज में थे, आज से पचास साल पहले। नैनीताल तब ऐसा नहीं था। पिछले साल गरमी में लग रहा था जैसे झील कह रही थी-"प्रिय, मैं तुम्हारी याद में सूखे जा रही हूँ।कहते हैं कभी सती माँ की आँखें यहाँ गिरी थीं।नैना देवी का मंदिर इसका साक्षी है। कभी मैं भरी पूरी रहती थी।तुम नाव में कभी अकेले कभी अपने साथियों