1.मिला दिल, मिल के टूटा जा रहा हैनसीबा बन के फूटा जा रहा है..दवा-ए-दर्द-ए-दिल मिलनी थी जिससेवही अब हम से रूठा जा रहा हैअंधेरा हर तरफ़, तूफ़ान भारीऔर उनका हाथ छूटा जा रहा हैदुहाई अहल-ए-मंज़िल की, दुहाईमुसाफ़िर कोई लुटा जा रहा है2.ना किसी का दिल चाहिए, ना किसी की जान चाहिए,समझ सके जो दिल का हाल बस वो इंसान चाहिए3.सच्ची मोहब्बत को, कब मुकाम मिलान मीरा को मोहन मिला, न राधा को श्याम मिला4.भुला के मुझको अगर तुम भी हो सलामत;तो भुला के तुझको संभलना मुझे भी आता है;नहीं है मेरी फितरत में ये आदत वरना;तेरी तरह बदलना मुझे भी