काल के कपाल पर हस्ताक्षर –धुंधले है. -समीक्षा

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पाठकीय प्रतिक्रिया यशवन्त कोठारी काल के कपाल पर हस्ताक्षर –धुंधले है.  हरिशंकर परसाई की जीवनी पर राजेन्द्र चंद्रकांत राय का उपन्यास आया है. पुस्तक प्रकाशक से लेना चाहता था मगर ओनलाइन खरीदी की. 663 पन्नों की किताब को पढने में काफी समय लगा. परसाई के जीवन पर उनका खुद का लिखा भी काफी पढ़ा था कांति कुमार जैन का लिखा भी पढ़ा था. लाडनूं के एक समारोह में स्व. शरद कोठारी से भी मुक्तिबोध –परसाई के बारें में बहुत कुछ सुना उन्होंने एक किताब भी दी थी. सारिका में छपा गर्दिश के दिन भी याद आया, परसाई. रचनावली अक्सर टटोल