आज विक्रम ने बहुत हिम्मत करके वर्षा से काफी पर चलने के लिए पूछ ही लिया लेकिन वर्षा ने आज तो किसी बहाने से विक्रम को टाल दिया, पर जब उसने अगले दिन भी इसी बात पर जोर दिया तो वर्षा इस बार मना न कर सकी। शाम सात बजे काफी हाउस पर मिलने का उसने वादा किया। अब विक्रम को चैन कहां था मन सायं कालीन के काफी हाउस के स्वप्न के सपने सजा रहा था।दिन भर इसी उधेड़बुन में बीता कि आज वह क्या पहन कर वर्षा के सामने जाये उसने कई बार आलमारी में तह किये गये