साथिया - 42

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समान जमा के अक्षत सांझ से मिलने आया। उसने साँझ को हॉस्टल से पिक किया और फिर दोनों वही एक गार्डन में जाकर बैठ गए। साँझ के चेहरे पर उदासी छाई हुई थी और आंखों में हल्की नमी थी। अक्षत ने उसके गाल से हाथ लगाया तो उसने उसकी तरफ देखा। "अगर इस तरीके से परेशान होगी तो बताओ मैं कैसे जा पाऊंगा तुम्हें छोड़कर?" अक्षत ने कहा तो सांझ उसके सीने से लग गई। "नहीं आप ऐसा मत सोचिए जज साहब। मैं तो बस ऐसे ही परेशान हूं। आप जाइये और अपनी ट्रेनिंग करके जल्दी से वापस लौटिये। पता