कल्पना से वास्तविकता तक। - 11

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पूरी कहानी को शुरुआत से पढ़ने के लिए आप हमारी प्रोफाइल पर फेरा लगा सकते हैं। दुनिया में अगर हर कही बात हर किसीकी समझ आ जाती तो यक़ीनन आपसी उलझनों का तो धंधा ही चौपट हो जाता, लेकिन ना तो हर कोई समझ पायेगा और ना ही कभी उलझनों का कभी कोई घाटा होगा। सभी को उनकी बातें तो आसानी से समझ आ रही थी लेकिन बातों का अर्थ समझना मुश्किल लग रहा था। "अंकल आप हमें पहेलियाँ क्यों बुझ रहे हो ? इतने नाजुक समय पर भी आप सीधी बात नहीं बता रहे हो,ऐसे तो हमें कुछ भी