मजबूर जज़...

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गाँव की चौपाल पर कुछ व्यक्ति झुण्ड लगाकर बैठें हैं,कोई किसी से बात कर रहा था तो कोई हुक्का गुड़गुड़ा रहा है,सब अपनी अपनी बातों में मग्न हैं,सबकी अपनी अपनी अलग अलग बातें हैं,कोई ये कह रहा है कि गाँव के सरपंच ने इस बार गाँव का कितना विकास किया तो कोई ये कह रहा है कि इस बार गाँव का सरपंच बदल जाना चाहिए,कोई इस बार फसल अच्छी ना होने का रोना रो रहा था तो किसी का ये रोना है कि उसकी बेटी के लिए कोई काबिल वर नहीं मिल रहा है,किसी को पोता होने की खुशी है