भुतोंकी कहानिया - 4

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मंत्रमुग्ध विच फॉरेस्ट जंगल भाग ४रात के 11.30 बजे रात के 11:30 बज रहे थे और डायन के जंगल में बेजान यात्रा शुरू हो चुकी थी। हेडलाइट की रोशनी में कार तेजी से सड़क पर दौड़ रही थी, परिवार से मिलने की आशा, स्नेह की आशा मन में बनी हुई थी, लेकिन वे दोनों इस बात से बिल्कुल अनजान थे कि भाग्य ने उनके लिए क्या लिखा है। अपर्णा मुंह पर उंगली रखकर किसी बच्चे की तरह चुप बैठी थी। वह यह देखने के लिए भी उत्साहित थी कि आगे क्या होगा। विजय ने एकवेल उसने अपर्णा की ओर देखा,