मोबाइल महात्म्य

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मोबाइल महात्म्य “अजी सुनिये तो।” कहती हुईं हमारी श्रीमती जी मोबाइल हाथ में पकड़े मेरे सामने आकर खड़ी हो गईं। “अजी सुनाइए तो...” हमने भी अपनी मोबाइल से नज़रें हटा कर श्रीमती जी को प्यार से देखते हुए कहा। “लगता है ये मोबाइल खराब हो गया है। आजकल ये अटक-अटक कर चलता है।” श्रीमती जी ने शिकायती लहजे में कहा। “मैडम जी, ज़रा प्यार से इसे ऑन-ऑफ़ और रिस्टार्ट करके देख लीजिए। हो सकता है इसे आराम की जरूरत हो।” हमने मजाकिया लहजे में फरमाया। “हो सकता है कि इसे भी आपकी बीमारी लग गई हो; अटक-अटक कर चलने की।