नाम जप साधना - भाग 18

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भगवन्नाम महिमाहरिनामपरा ये च घोरे कलियुगे नराः ।त एव कृतकृत्याप्चश्न कलिर्बाधिते हि तान् ॥ “घोर कलियुग में जो मनुष्य हरिनाम परायण हैं वे ही कृतकृत्य हैं। कलियुग उन्हें बाधा नहीं पहुँचा सकता।”अनन्त कोटि ब्रह्माण्ड नायक परात्पर परब्रह्म परमात्मा के अनन्त अवतार भक्तों के कारणार्थ हुआ करते हैं। उन्हीं अनन्त अवतारों में हरि नाम भी प्रभु का पतित पावन अवतार है। भगवान् और भगवान् का नाम अभिन्न है। नाम नामी का अभिन्न स्वरूप है। जिनके जीवन में हरि नाम आ गया, समझो हरि आ गए। नाम आश्रय ही भगवान् का आश्रय है। गोस्वामी तुलसीदास जी तो यहाँ तक कहते हैं–कहाँ कहौं