"अम्मा! बच्चा तो बच गया है, पर उसकी माँ को नहीं बचा सके! काफी प्रयास किया टीम ने", आप्रेशन थियेटर से बाहर निकल दादी को ढ़ाढ़स बँधाते हुए बताया नर्स ने। "ओ इज्या मेरि, मेरि आब् कमरै टुटि गे" कहते हुए दादी दहाड़ें मारकर रोने लगी। साथ आये लोगों ने किसी तरह अम्मा को संभाला और दो लोगों के साथ उन्हें घर पर भेज, मृत माँ के अन्तिम संस्कार की तैयारी में जुट गये। तीन दिन बाद 'खुशियों की सवारी' से नवजात गाँव की किसी अन्य महिला के साथ घर पहुँचा। कहाँ खुशियाँ? मातम पसरा था पूरे गाँव में। दादी