कहीं धूप, कहीं छाव

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1.तुमको देखा बंद आँखों से दीदार को मन तड़पता हैमेरे मन मंदिर के देवता तुझे देखने को मन तरसता है स्वप्न सजाए पलकों ने सांसों ने अभिनंदन किया अधरों का पा स्पंदन फिर जीने को मन करता है दिल से दिल का रिश्ता ऐसा तू साथी तू हमसायाहर सांस पुकारे आँखों में डूबने को मन मचलता हैदिल पर कब्जा तुम्हारा हर सांस करे तुम्हारा वंदन बाँहें तुझे पुकारे दिल में बसाकर क्योंकर छलता है'साहिबा' की हर सांसें हर रोम रोम पर अधिकार तुम्हारास्वप्नों में हो या हकीकत में तेरा ही एहसास जगता2.तुम बिन जीना मुश्किल तन्हा दर्द जुदाई सही ना