भाग 17जितने भी दिन रज्जो गांव में रही कोई भी दिन बिना तानों के नही बीता उसका। गांव या रिश्तेदारी से कोई भी अगर मिलने आ जाता तो जगत रानी का रोना शुरू हो जाता। दबे स्वर में ही सही पर वो रज्जो को बांझ कहने लगी। वही गुलाबो की सारी गलतियां बस पोते को दे देने से माफ हो गई थी। अब रज्जो भी घर ज्यादा दिन नहीं रुकना चाहती थी। बात बात पर अपमान से अच्छा था की वो लखीमपुर ही रहती। रज्जो भले ही जय से कुछ नही कहती थी। पर जय भी कोई अंधा, बहरा तो