बहुत जरूरीआज खुशी के परिवार में बेहद ही खुशी का माहौल था। उसकी माँ तो फूले न समा रही थी। वह विद्यालय आकर सभी शिक्षकों से मिलकर उनके द्वारा किये गए सहयोग के लिए नतमस्तक हो आभार व्यक्त कर रही थी, क्योंकि उसकी बेटी शिक्षकों के निर्देशन और सहयोग से डाॅक्टर जो बन गयी थी।ज्यादा पुरानी बात नहीं है। खुशी का स्कूल में दाखिला बङी ही मुश्किल से शिक्षकों के कारण हो पाया था, क्योंकि उसके पिता जी बहुत ही पुराने विचारों के थे, जो लङकी का पढ़ना-लिखना जरुरी नही समझते थे। वे कहते थे कि लङकी तो पराया धन