झूठी प्रशंसा

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1. झूठी प्रशंसा : -एक बार की बात है । एक महिला के घर पर कुछ मेहमान आने वाले थे । वह महिला बहुत दिखावा करती थी । उस दिन वह बहुत उत्सुकतावश चहलकदमी करती जा रही थी । उसको सबसे प्रशंसा सुननी अच्छी लगती थी । वह उन मेहमानों से भी प्रशंसा सुनना चाहती थी । अब उसका ध्यान अपने घर के बाहर सूखे हुए गमलों की तरफ गया । उनमें एक भी फूल नहीं था । वह सूखे पड़े थे । इसके लिए उसने उसके घर के बगल वाले घर के बाहर से चुपके से खूब सारे फूलों