मित्रता

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मित्रता "जो मित्र सुख-दुख की घड़ी में साथ रहता हो, वही सच्चा मित्र है। " चाणक्य कहते हैं कि सच्चे मित्र की पहचान संकट की घड़ी में होती है।जब बुरा वक्त आता है तो सबसे पहले स्वार्थी लोग साथ छोड़कर भाग जाते हैं। बुरे वक्त में साथ रहने वाले आपके अपने होते हैं। (आचार्य चाणक्य) आज के युग की मित्रता का अर्थ सैर सपाटों और मौज मस्ती तक सिमत कर रह गया है । संस्कृत की निम्न सूक्ति कितनी गम्भीरता से मित्रता के अर्थ को प्रदर्शित करती है , देखा जा सकता है – दिनस्य पूर्वार्ध परार्ध भिन्न: ,छायेव मैत्री