लेखक का सपना

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1. मिलो की दूरी उपस्तिथि तुम्हारीसर्वस्व तो समर्पित कर दिया है प्रेम मेंअब इस नश्वर तन का क्या मोल भला प्रेम में तन का मिलन तो औपचारिकता मात्र है मन से मन का मेल हुआ तो प्रेम हुआजब तुम्हारे मखमली,प्रेम में भीगे,शब्दो ने मुझे छुआ,और मैने शर्म से नजरे झुकाई,तो तुम्हारे प्रेम ने मुझे छुआमीलों की दूरी हो, और सामने बैठेउपस्थिति तुम्हारी हो, तो प्रेम ने दर्श तेरा दिया ये प्रेम हुआ !कोई मिलन की आस ना हो,और स्वप्न पे अधिकार तुम्हारा हो तो कुछ और नहीं ये तुम्हारा प्रेम ही हुआतारों से भरा आसमा,और चांदनी रात होमेरी हर कविताओं