सपनों को पंख देती कलम

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1.अपने लिए भी कुछ समय निकालो, दुनिया ने तो सारा वक़्त छीन ही लेना है। 2.सरे - आम ​मुझे, यह शिकायत है ज़िन्दगी से​। क्यूँ मिलता नहीं, मिजाज़ मेरा किसी से।। 3.दर्द की तुरपाइयों की नज़ाकत तो देखिय, एक धागा छेड़ते ही ज़ख्म पूरा खुल गया। 4.ना चांद की चाहत और ना ही तारों की फरमाइश। हर जन्म आप ही मिलो मुझे बस यही है मेरी ख्वाहिश।। 5.पूरे "ब्रह्माण्ड" में, “जुबान" ही एक ऐसी चीज़ है। जहाँ पर "जहर" और "अमृत" एक साथ रहतें है।। 6.जो इंसान मन की तकलीफों को नहीं बता पाता ना,उसे गुस्सा सबसे ज्यादा आता है।