पूरे गांव के लोग कुछ दूरी पर खड़े सारा नजारा देख रहे थे क्योंकि यदि शेरू बिगड़े मिज़ाज़ में आक्रामक हो भी तो बचा जा सके।तीखा जुझारू भी भीड़ का ही हिस्सा किस्सा बनकर सारा नज़ारा देख रहे थे लेकिन जब शेरू शांत होकर सौभाग्य के पैर के पास बैठा तब जुझारू से गुस्से में तीखा बोली जब सौभाग्यवा मरी जाय तब जाब जानत ह कि शेरू सौभाग्यवा से केतना घुलल मिलल ह ऊ कौनो ऐसन बात जरूर जाने ह जेसे सौभग्यवा के लेना देना ह एहि लिए बिगड़ा ह चल हमन के कुछ नाही करी शेरू आखिर सौभग्यवा के