एहिवात - भाग 23

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कहते है समय स्वंय में ईश्वरीय स्वरूप है ईश्वर कि तरह समय काल वक्त भी अदृश्य है ना जलता है ना मरता है ना समाप्त होता है समय आदि अनंत है जैसा कि ईश्वर है ।समस्याएं भी देता है समय और निराकरण भी यही सत्य जुझारू और तीखा के परिवार का था सौभाग्य के विवाह हेतु प्रथम शुभ आयोजन वर का वरण(गोड़ धोइया ) कि निर्धारित तिथि 9 मार्च भी आ गयी जुझारू नेवाड़ी और मंझारी के कोल परिवारों के साथ पुत्री सौभाग्य के लिए राखु के वरण हेतु निकले अपनी शक्ति के अनुसार जो दे सकने में समर्थ थे