प्रेम गली अति साँकरी - 117

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117 --- =============== यह गुलाबी रंग का एक बड़ा सुंदर सा लिफ़ाफ़ा था जो मैंने चुपचाप उत्पल के कमरे की ड्राअर से उठा लिया था जैसे ही मैंने उस ड्राअर को खोला, उसमें से मीठी सी सुगंध का झौंका आकर मुझे छू गया| मेरी आँखें बंद हो गईं जैसे उत्पल की सुगंध उस ड्राअर से आ रही थी| यह सुगंध बहुत परिचित थी, जब कभी मैं उत्पल के करीब हुई थी इस सुगंध ने हमेशा मुझे नहला दिया था जैसे! मैं उसमें डूब जाती थी| हर देह की एक खास गंध होती है, यदि उसका अहसास हो तो वह एक-दूसरे