अंतर्मन (दैनंदिनी पत्रिका) - 3

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प्रिय डायरी " अंतर्मन", यार डायरी बुरा मत मानना, पर ये संदीप भी ना... दुनिया भर की बातों को तुमसे साझा करता है । भला व्यस्त इंसान औरों के विषय मे, समाज के प्रगति के विषयों मे अपनी सहभागिता क्यों रखेगा। अपना दिमाग क्यों खपायेगा। पर तुम्हें तो पता है कि, अपना संदीप बचपन से ही कागज कलम का घनिष्ट मित्र है, और आने वाले समय मे भी रहेगा।फिर भला अपने हृदय की बात घनिष्ट मित्र से क्यों ना साझा की जाए। अंतर्मन के माध्यम से मुझे स्नेह प्रदान करने वाले प्रतिलिपि परिवार के सभी सम्मानित परिजनों को सादर प्रणाम,