नाम जप साधना - भाग 14

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नाम जप पर रसिक संत पूज्य श्री भाईजी के विचारगीताप्रेस गोरखपुर के आदिसम्पादक रससिद्ध संत पूज्य श्रीभाईजी (श्रीहनुमान प्रसाद पोद्दार जी) के नाम को कौन नहीं जानता। अगर इन महापुरुष के बारे में कुछ जानना चाहते हो तो गीतावाटिका गोरखपुर से प्रकाशित पुस्तक 'भाईजी एक अलौकिक विभूति' जरूर पढ़नी चाहिये। यहाँ तो केवल भाईजी के नाम जप के प्रति विचारों को ही दिया जा रहा है।–1. जिस प्रकार अग्नि में दाहिका शक्ति स्वाभाविक है, उसी प्रकार भगवन्नाम में पाप को, विषय-प्रपंचमय जगत के मोह को जला डालने की शक्ति स्वाभाविक है। इसमें भाव की आवश्यकता नहीं है।2. किसी प्रकार भी