तुम थेउन दिनों महज 16-17 साल की थी मैं, और रातों को जागने की आदत मेरी नई-नई थी. तुम्हें तभी तो नोटिस करना शुरू किया था मैंने, और तुम्हारे साथ होने पर मुझे जो मिलती थी वो राहत नई-नई थी. पता ही नहीं चला कि यह मुलाकात कब आदत बन गई और आदत कब जरूरत और जरूरत कब चाहत में बदल गई. शायद!!! लड़कपन की वह मेरी पहली मोहब्बत नई-नई थी. उस समय इस जुनून, उस फितूर और इस सुकून का एहसास पहले कभी हुआ ही नहीं था. क्योंकि तुम थे मेरे पास ऐसे जैसे कोई नहीं था. याद है