मुस्कुराई और उठ कर

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मुस्कुराई और उठ करनववर्ष के आगमन पर क्लब दुलहन की तरह सजाया गया था. बिजली के रंगीन बल्बों की रोशनी से सारा प्रांगण जगमगा रहा था. क्लब के बार में दोस्तों के साथ बैठे रंजीत की नजर एक युवती पर पड़ी जो अपनी सहेलियों के साथ खिलखिला कर हंसती हुई पास से गुजर गई. ‘‘यार, यह हसीना कौन है?’’ रंजीत ने अपने दोस्तों से पूछा. ‘‘यह मेनका है. अपने मांबाप के साथ पुणे से आई और जनरल मल्होत्रा की मेहमान है, ’’ उस के दोस्त पवन ने कहा. ‘‘तभी तो, मैं भी चकराया कि इस हसीन चेहरे पर पहले कभी