हॉंटेल होन्टेड - भाग - 49

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सब रिसॉर्ट को आंखें फाड़े देख रहे थे मानो ऐसी चीज़ अपनी ज़िंदगी मैं पहली बार देख रहे हो,सब लोग शांत होकर खड़े थे क्योंकि इस वक़्त महोल ही कुछ ऐसा था, रात के करीब 12 बजे सुनसान जगह पे चलती हवाओ के साथ जब कोई जंगल के बीचो-बीच बनी किसी अनजान जगह पे खड़ा हो और वहां किसी के होने का एहसास ही ना हो तो वहा खड़े रहने के लिए काफी हिम्मत चाहिए।"यार यहाँ आकर मुझे कुछ अजीब सा लग रहा है" हर्ष अविनाश के कान में हल्का सा फुसफुसाया।"अजीब से क्या मतलब है तुम्हारा?""पता नहीं यार वही