और उधर जेल में रागिनी के भागने के बाद जेलर साहब एकदम सुस्त पड़ गए थे,उन्होंने ना तो रागिनी के भागने पर अखबार में कोई इश्तिहार छपवाया और ना ही उसकी खोज में पुलिस वालों को भेजा,वे कहीं ना कहीं खुद को रागिनी का गुनाहगार समझते थे,उन्हें पता था कि अगर उनके पिता रागिनी से उनकी शादी ना तोड़ते तो नौबत यहाँ तक ना आती,शायद रागिनी डकैत ना बनती और उन्हें रागिनी के सामने इस तरह से शर्मिन्दा ना होना पड़ता.... और उन्होंने इस मसले पर एक दिन श्यामा को बात करने के लिए अपने पास बुलाया,चूँकि श्यामा भी जेल