अन्धायुग और नारी - भाग(४८)

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उन्होंने हमारा इलाज किया और हम बिलकुल ठीक हो गए वे लगातार दो चार दिन हमें देखने हवेली आएँ और आखिरी दिन उन्होंने हमसे कहा.... "ख़ालाजान! अब आप बिलकुल ठीक हैं,अब आपको मेरे इलाज की जरूरत नहीं" "डाक्टर साहब! ये सब आपकी मेहरबानी है,जो हम ठीक हो गए,अब आपकी फीस बता दीजिए", हमने डाक्टर साहब से कहा.... "आप फीस की चिन्ता ना करें ख़ालाजान! आप अच्छी हो गईं,यही मेरे लिए बहुत है"डाक्टर साहब बोले.... "फीस तो आपको लेनी ही पड़ेगी,नहीं तो हम बुरा मान जाऐगें"हमने उनसे कहा.... "जी! वो भी ले लूँगा,लेकिन एक फरमाइश थी मेरी",डाक्टर साहब बोले.... "जी! बताएं!