एकांश और आस्था एक दूसरे की बाहों में सुकून से सुकून नींद भरी सो रहे थे हर रोज की तरह आज भी आस्था की नींद जल्दी ही खुली गई थी . . .. . . . . . अपने आपको . .. . . . एकांश की बाहों में पाकर आस्था शर्मा गए कल रात का हसीन मंजर उसे अपने सामने फिर से दिखाई दिया और शर्म की गुलाबी रंगत उसके चेहरे पर छा गई. . . . . .. एकांश ने उसके सोने के बाद अपनी शर्ट उसे पहना दी थी . . . . . . .. .