विरासत में मिले धन को तो समस्त भाई - बहनों ने बराबर बांट लिया लेकिन विरासत में मिली सेवा को कोई भी नहीं बांट सके, सभी को अपना समझने वाले कुंदन लाल जी की स्थिति आज यही थी।कुंदन लाल जी बड़े ही सक्षम ,समझदार और सुलझे हुए व्यक्ती थे, कोई भी उनकी बिना प्रशंसा किए हुए नहीं रह सकता था। करोड़ों का देश-विदेश में सोने चांदी का व्यापार था और अन्य कारोबारों में भी उनका अच्छा खासा सिक्का चलता था, परंतु सक्षमता के पीछे कुछ ना कुछ कमी जरूर थी। जीवन के 30 वर्ष ही बिते थे की अल्पायु में