अनजान इश्क

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काफी देर तक चुप रहने के बाद तुम सच में जा रही हो?? फोन पर दोनो तरफ एकदम सी चुप्पी थी। तब तक पास वाले मस्जिद से अजान शुरू हो चुकी थी। शाम की अजान की मीठी आवाज सच में कितना दिल को छू जाता है न ?? जैसे पहाड़ के टीलों पर से गुजरती सरसराती हवा।जैसे लगता है कही दूर ढेर सारी दुआए काबुल हो रही हो।अक्सर दोनो के फोन पर बाते करते वक्त अजान शुरू हो जाया करती थी। प्रेम और प्रीति अजान के टाइम चुप हो जाया करते थे। पर इस वाली शाम और अजान आज थोड़ी