साथिया - 40

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सांझ तैयार होकर अक्षत के आने का इंतजार करने लगी। थोड़ी देर में अक्षत वहां आ पहुंचा और सांझ उसके साथ अक्षत के घर जाने के लिए निकल गई। " अक्षत ने घर के आगे बाइक रोकी तो सांझ ने आँखे बड़ी कर उसे बड़े और आलीशान बंगले को देखा।" आओ सांझ।" अक्षत ने कहा और सांझ की तरफ देखा " मुझे डर लग रहा है जज साहब.. आप मुझे प्लीज वापस हॉस्टल छोड़ दीजिये। मैं फिर कभी आ जाऊंगी।" सांझ ने घबरा के कहा।" डोन्ट वरी सांझ..! मेरे पेरेंट्स भी मेरे जैसे है।" अक्षत बोला और सांझ का हाथ