साथिया - 37

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"हॉस्टल चलने से पहले आधे घंटे का टाइम मुझे दोगी?" अक्षत ने कहा। "अब क्या?" सांझ ने कहा। "बस कहां है ना विश्वास करो तो बस चलो..!" अक्षत ने कहा और सांझ को अपने पीछे बिठाकर बाइक आगे बढ़ा दी। थोड़ी देर बाद वह एक बहुत बड़े गार्डन के बाहर थे। अक्षत ने बाइक रोकी तो सांझ ने चारों तरफ देखा । " आओ।" और अक्षत ने उसका हाथ थाम कर कहा और आगे चल दिया। सांझ ने देखा कि पूरा रास्ता बहुत ही खूबसूरती से डेकोरेट किया गया है। चारों तरफ खूब सारे बलूंस और हैप्पी बर्थडे लिखे हुए