साथिया - 33

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" हमे ज्ञान और कानून न सिखाओ अपना काम करो। हम लोगों और हमारे कानून के बीच में मत पड़ो। दोनों शर्मिंदा थे अपनी हरकत पर । भाग गए पर रहने खाने का इंतजाम नहीं था इसलिए आत्महत्या कर ली और इस बात का गवाह यह पूरा गांव है और साथ ही इन दोनों का लिखा हुआ यह इकरारनामा।" अवतार सिंह ने जमीन की तरफ देख के कहा। निशांत ने अवतार को जलती आँखों से देखा। " तुमने मेरी बहिन को बचाने मे मदद नही की अवतार सिंह जबकि तुम रोक सकते थे बाबूजी को। भगवान् न करे अगर मौका