अगले दिन सुबहश्वेता और काव्या सो रहे थे तभी काव्या को उसकी मां की आवाज आती है - काव्या बेटा उठो, सुबह हो गई है ।काव्या अपनी आंखे खोलती है वो अपने कमरे मे सोई हुई थी एक छोटी सी मुस्कान के साथ उठ खड़ी होती हैं और पास ही सो रही श्वेता को कंबल ओढ़ा कर कमरे से मां मां करते हुए बाहर निकल जाती हैं कुछ देर बाद श्वेता उठती हैं और अपने पास सो रही काव्या को ढूंढने लगती हैं लेकिन वहां कोई नहीं था श्वेता इधर उधर देखती है उसे कोई नहीं दिखता है श्वेता उठ