आजकल के इस आपाधापी से भरे माहौल में हम सब जीवन के एक ऐसे फेज़ से गुज़र रहे हैं जिसमें कम समय में ज़्यादा से ज़्यादा पा लेने की चाहत की वजह से निरंतर आगे बढ़ते हुए बहुत कुछ पीछे ऐसा छूट जाता है जो ज़्यादा महत्त्वपूर्ण या अच्छा होता है। उदाहरण के तौर पर टीवी पर कोई उबाऊ दृश्य या विज्ञापन आते ही हम झट से चैनल बदल देते हैं कि शायद अगले चैनल पर कुछ अच्छा या मनोरंजक देखने को मिल जाए। मगर चैनल बदलते-बदलते इस चक्कर में कभी हमारा दफ़्तर जाने का समय तो कभी हमारा सोने